धूम्रपान: मौत का सामान
आत्मभाव से सृष्टि का सम्राट बनने के लिए निर्मित मानव जीवभाव से कैसे पतन के गर्त में गिरता जाता है और स्वयं को ही कष्ट देता है। उसका उत्तम उदाहरण देखना हो तो आप धूम्रपान और सुरा जैसे व्यसनों के प्रेमी व्यक्ति को देख लीजिए। धूम्रपान और सुरा के रसिक देवताओं के मंदिर के समान अपने शरीर को जलती चिता जैसा बना देते हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं लगती? एक प्रकार से इसे बुद्धि का दिवाला ही कहा जाएगा। मानव को इस गर्त से बाहर निकालने के लिए अनेक लोगों ने युग युग से प्रयत्न किए हैं। गांव-गांव घर-घर में लोग व्यसनों से मुक्त हो। इसके लिए हम सब कटिबद्ध हो। पत्थरों के मंदिरों का जीर्णोद्धार भले होता रहे परंतु मानव मंदिरों का जीर्णोद्धार अवश्य ही तेजी से होना चाहिए। यह योगदान हम सबके हिस्से में आता है। अतः पुनः हमारी विनती है कि यह लेख आप पढ़े और जैसे तैसे अधिकाधिक लोगों को पढ़ाने में निमित्त बनकर मानव मंदिर का रक्षण करें। तंबाकू से होने वाले रोग फेफड़ों में कैंसर: रॉयल कॉलेज की रिपोर्ट बताती है कि तंबाकू के कारण अनेकों को फेफड़ों की बीमारी होती है। विशेषकर कैंसर फेफड़ों की बीमारी के कारण अपने द