शाहजहांपुर में सेना में भर्ती के लिए फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में अब एटीएस जांच में जुट गई है। एटीएस आरोपियों के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी करेगी। बंडा और खुटार थाने में मामले सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियां भी छानबीन में लग गई हैं।
बंडा पुलिस और एसओजी टीम ने 11 नवंबर को फर्जी कागजों के जरिए सेना में भर्ती कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर आरोपी परमवीर सिंह, उसके पिता हुकुम सिंह, मुकेश कुमार और बंडा थाने में तैनात सिपाही मनवीर सिंह को जेल भेजा था।
मीरानपुर कटरा थाने में तैनात सिपाही मूलचंद भी फर्जी कागज बनवाने वाले सुरेश सोम के गैंग से जुड़ा था, मूलचंद्र और एक अन्य अरविंद कुमार अभी फरार है। परमवीर सिंह के शैक्षिक प्रमाणपत्रों पर उसका भाई हरविंदर सिंह फर्जी रूप से सेना में भर्ती हुआ था और मुकेश का भाई धर्मेंद्र राणा उर्फ मोंटू बंडा के कल्याण कुमार के फर्जी कागजातों पर सेना में भर्ती हुआ था।
दोनों ट्रेनिंग पर हैं। परमवीर और मुकेश ने भाइयों के फर्जी निवास प्रमाणपत्रों को सत्यापन कराने बंडा आए थे। उधर, खुटार में बुलंदशहर के उपेंद्र और अमन ने खुटार का फर्जी निवास प्रमाणपत्र लगाकर सेना में नौकरी पाई है। ये भी ट्रेनिंग पर हैं।
दोनों के फर्जी प्रमाणपत्रों का सत्यापन करने का प्रयास करने के दौरान पुलिस ने 16 दिसंबर को जनपद लखीमपुर के शहबाज, अनिरुद्ध, मुकेश और खुटार के जनसेवा केंद्र संचालक आफताब खां उर्फ भूरे को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सेना भर्ती में फर्जी कागजात लगाकर नौकरी पाने के मामले को सुरक्षा एजेंसियों ने गंभीरता से लिया है।
मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण दोनों ही गिरोहों के तार विदेशों से जुड़ने की आशंका के चलते अब एटीएस ने भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी इसकी पुष्टि कर रहे हैं। हालांकि वह कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
बंडा में फर्जी कागजात तैयार कराने वाले गैंग के लोगों के पकड़े जाने के बाद अब तक हुई विवेचना और आरोपियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने सेना को 34 संदिग्ध नामों की सूची भेजकर सत्यापन चाहा है। अभी तक सेना की ओर से पुलिस को जवाब नहीं मिल सका है। सत्यापन रिपोर्ट मिलने के बाद फर्जीवाड़े की स्थित साफ हो सकेगी।
उपेंद्र और अमन के नाम के फर्जी निवास प्रमाणपत्र बनाए जाने और उनके आधार पर दोनों के सेना में भर्ती होकर ट्रेनिंग करने का खुलासा होने पर राजस्व विभाग के अधिकारी भी सकते में हैं। विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
शुक्रवार को एसडीएम और तहसीलदार ने निवास प्रमाणपत्र पर रिपोर्ट लगाने वाले लेखपाल, कानूनगो, कंप्यूटर ऑपरेटर आदि को बुलाकर पूछताछ की। तहसील के कुछ अन्य कर्मचारियों से मामले की जानकारी ली गई है। मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा होने के कारण अधिकारी अपने स्तर से भी जांच में जुटे हुए हैं।