ताजमहल पहली बार 188 दिनों तक कोरोना संक्रमण के कारण बंद हुआ। इससे पहले 1971 के भारत पाक युद्ध में 15 दिन और 1978 की बाढ़ में 7 दिन तक ही ताज पर्यटकों के लिए बंद हुआ था। 354 साल में पहला मौका था जब शाहजहां का उर्स नहीं हुआ और पूरे 6 महीने तक ताजमहल के अंदर बनी शाही मस्जिद में न ईद की नमाज हुई और ना ही जुमे की।
साल 2020 का आगाज जितना बेहतर हुआ, उतना ही बुरा बीता। पर्यटन से जुड़े 4 लाख से ज्यादा लोगों के लिए यह कभी न भूलने वाला कड़वा अनुभव रहा। ट्रेड के 3 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन में उधार पर जिंदगी काटनी पड़ी। पहली बार 188 दिनों तक ताज बंद रहा, जिस वजह से पर्यटन उद्योग को 3 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा। अभी भी नुकसान की भरपाई शुरू नहीं हो पाई। पंचतारा होटल, एंपोरियम से लेकर छोटे दुकानदार और हॉकर तक की जिंदगी अभी पटरी पर नहीं आई है
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणके रिटायर्ड वरिष्ठ संरक्षण सहायक डॉ. आरके दीक्षित ने बताया कि ताजमहल का निर्माण 1632 से 1648 के बीच हुआ। इसके बाद से लेकर अब तक 372 सालों में ताज केवल तीन बार सैलानियों के लिए बंद किया गया। सबसे पहले 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान ताजमहल को पूरी तरह पेड़ों की टहनियों से ढक दिया गया था। युद्ध 4 से 16 दिसंबर तक चला था, लेकिन उसकी सफाई में दो दिन और लगने से यह पर्यटकों के लिए 4 से 18 दिसंबर तक बंद रहा था।
साल 1978 में सितंबर के महीने में यमुना में बाढ़ आई। पर्यटक ताज से यमुना में पानी देखने पहुंचते थे। सुरक्षा की दृष्टि से तब सात दिन तक ताजमहल को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। चमेली फर्श के नीचे तक पानी आ गया था। इसके बाद तीसरी बार ताजमहल कोरोना संक्रमण के कारण 17 मार्च से 20 सितंबर तक बंद रहा है।
17 मार्च को बंदी के बाद 21 सितंबर को ताज समेत स्मारक खुले भी तो केवल 5 हजार पर्यटक ही ताज में प्रवेश करने की अनुमति दी गई, जिसने उद्योग को निराश किया। बीते साल के मुकाबले 46 लाख लोगों की कमी पर्यटन उद्योग झेल रहा है। विदेशी उड़ानें शुरू न हुईं और कैपिंग न हटी तो हालात और खराब हो सकते हैं।