ब्रिटेन और यूरोपीय देशों से आने वाले लोगों की दो तरह की जांच होगी। पहले उनकी कोविड-19 की जांच की जाएगी। अगर कोई इसमें पॉजीटिव आता है तो फिर उसका सैंपल जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी पुणे कोव-2 की जांच के लिए भेजा जाएगा।
अगर कोई कोव-2 संक्रमित निकलता है तो उसका इलाज लक्षणों के आधार पर होगा। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ दूसरे देशों के विशेषज्ञों से भी इस संबंध में बात कर रहे हैं। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल ने बताया कि कोव-टू के संदिग्ध व्यक्ति की दो जांचें होंगी।
यहां आरटीपीसीआर जांच होगी और दूसरी जांच पुणे में कराई जाएगी। पुणे की जांच से ही पता चलेगा कि व्यक्ति कोव-टू से संक्रमित है। इलाज के लिए अलग से व्यवस्था कर दी गई है। मैटरनिटी विंग के एक फ्लोर इसके लिए आरक्षित कर दिया गया है। कोव-2 जिन देशों में फैला है, वहां भी जीएसवीएम के पुरातन छात्र हैं, उनसे भी इस संबंध में बातचीत की जा रही है।