विकास दुबे का भाई दीपक दुबे भी शातिर किस्म का अपराधी है। विकास के साथ अपराध में वो कदम से कदम मिलाकर चला। सन 1998 व 2004 में विकास पुलिस के हत्थे चढ़ा लेकिन दोनों ही बार दीपक ने पुलिस टीम पर हमला कर विकास को छुड़ा लिया। इन मामलों में केस भी दर्ज हुए थे।
वहीं बिकरू कांड में विकास ने उसकी ही सेमी ऑटोमेटिक राइफल से पुलिसकर्मियों पर गोलियां दागीं थीं। हालांकि पुलिस अब तक उसकी राइफल बरामद नहीं कर सकी है। पुलिस के मुताबिक 9 मई 1998 को हत्या के प्रयास व धमकी के केस में पुलिस ने एसएसआई बिजेंद्र सिंह के नेतृत्व में दबिश दी थी।
पुलिस जैसे ही विकास को लेकर चली, दीपक ने साथियों के साथ पुलिस पर गोलियां चलाकर विकास को छुड़ा ले गया था। 2004 में भी विकास को जब एक केस में पुलिस गिरफ्तार करने पहुंची थी तो भी दीपक व उसके गुर्गों ने पुलिस पर हमला बोल दिया था। पुलिस ने इन दोनों घटनाओं में दीपक, विकास समेत अन्य आरोपियों पर रिपोर्ट दर्ज की थी।
बिकरू कांड के बाद पुलिस ने दावा किया था कि दीपक दुबे सेमी ऑटोमेटिक राइफल रखता है। जो विकास के पास रहती थी। हैरानी की बात ये है कि पुलिस ने दीपक दुबे को आरोपी नहीं बनाया। पुलिस का दावा है कि उसकी लोकेशन बिकरू में नहीं थी।
चौबेपुर थाने में दीपक पर दो एफआईआर दर्ज हैं। अब उसके सरेंडर करने पर पुलिस की एक टीम जल्द ही कोर्ट से अनुमति लेेकर दीपक दुबे को इन दोनों मामलों में कोर्ट में तलब करेगी। बयान भी दर्ज करेगी। बिकरू कांड में भूमिका तलाशने के लिए भी पूछताछ की जाएगी।