जम्मू-कश्मीर की जिला विकास परिषद चुनाव में अच्छे नतीजों से उत्साहित भाजपा ने प्रदेश में पंचायत चुनाव लड़ने की रणनीति में बदलाव किया है। अब मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी पार्टी ग्राम प्रधानी का चुनाव लड़ेगी। ऐसा पहली बार होगा। जाटव और यादव बहुल ग्राम पंचायतों की सूची तैयार कराई जा रही है। पार्टी नेतृत्व का कहना है कि जहां भाजपा का जनाधार कम है, वहां किसी राजनीतिक दल को वाकओवर नहीं दिया जाएगा। पार्टी का झंडा हर ग्राम पंचायत में दिखे और जीत मिले, इसी रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरा जाएगा।
भाजपा ने पंचायत चुनाव लड़ने का एलान बहुत पहले किया था। यह भी साफ किया था कि सिर्फ जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख का चुनाव लड़ा जाएगा। भले ही प्रत्याशियों को पार्टी का चुनाव चिह्न नहीं दिया जाएगा, लेकिन अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी होगी। ग्राम प्रधानी के चुनाव से पार्टी ने किनारा किया था। रणनीतिकारों का मानना था कि ग्राम प्रधानी का चुनाव एक साथ 20-20 प्रत्याशी लड़ते हैं। ऐसे में अधिकृत या समर्थित प्रत्याशी उतारने से नाराजगी बढ़ सकती है। 2022 में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
इसी बीच जम्मू-कश्मीर के जिला परिषद चुनाव के नतीजे आ गए। भाजपा ने मुस्लिम बहुल श्रीनगर में भी सीटें जीती हैं। लिहाजा, पार्टी ने ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ने की रणनीति में कुछ बदलाव किया है। जिन ग्राम पंचायतों में भाजपा का जनाधार कम है, वहां प्रत्याशियों को समर्थन देने की बात कही है। पार्टी नेताओं के मुताबिक ज्यादातर मुस्लिम, जाटव भाजपा को वोट नहीं देते हैं। कुछ यादव भी किनारा करते हैं।