किसान आंदोलन का असर, नहीं दिखा धान खरीद पर

 


चंडीगढ़ में धान खरीद पर किसान आंदोलन का कोई असर नहीं है। इस बार धान खरीद पिछले साल से ज्यादा हुई है। मंडी कमेटी के अधिकारियों का कहना है कि इस बार धान की गुणवत्ता भी पिछले साल से बेहतर रही है। इस साल 28640.28 मिट्रिक टन धान खरीद हुई है। वहीं पिछले साल 20512.5 मिट्रिक टन धान खरीद हुई थी। 

अधिकारियों ने बताया कि इस साल नवंबर के अंत तक धान खरीद की गई है जबकि पिछले साल तक लोग आधे नवंबर तक धान बेच देते थे। इस बार लोगों ने धान कमेटी को बेचने में ज्यादा रुचि दिखाई है। 

मंडी कमेटी के सेक्रेटरी जरनैल सिंह मावी ने बताया कि इस साल किसान आंदोलन के कारण धान की खरीद कम होने की उम्मीद थी। उसके बाद धान में भी नमी के कारण शुरुआत में खरीद धीमी रही। उसके बाद जो धान आई वह बेहतर गुणवत्ता वाली थी। इस वर्ष एफसीआई ने 28349.36 मिट्रिक टन जबकि निजी खरीदारों ने 290.92 मिट्रिक टन धान खरीदा है। सेक्रेटरी ने बताया कि बाहर से आने वाले खरीदार भी काफी मात्रा में धान खरीद ले जाते हैं, लेकिन इस बार किसानों ने मंडी पर ज्यादा भरोसा जताया है। ज्यादातर धान मंडी को ही बेची है।

किसान एक ही दिन में मंडी में फसल बेचकर अपने घर जा सकें, इसके लिए चंडीगढ़ सेक्टर-39 स्थित मंडी में 26 सितंबर से धान की खरीद शुरू कर दी गई थी। अधिकारियों ने बताया कि लगभग 10 अक्तूबर के बाद से खरीद में तेजी आई। धीरे-धीरे काफी संख्या में किसान मंडी में पहुंचने लगे। इस दौरान कमेटी की ओर से भी इंतजाम को बेहतर करने का दावा किया गया।

किसान जैसे ही अपनी फसल मंडी लेकर पहुंचे तो वहां जानकारी मिली कि 17 प्रतिशत अधिक नमी वाली फसल नहीं खरीदी जाएगी। किसान फसल लेकर वापस नहीं जाना चाहते थे, इसलिए नमी दूर करने के लिए मंडी में ही फसल को फैला कर सुखाने लगे, लेकिन सुबह की ओस से फसल और गीली होने लगी। तब एक दिन में फसल को सुखाकर किसानों से फसल खरीद की योजना बनाई गई।

मंडी के सेक्रेटरी ने बताया कि मटर की खरीद हर साल कम होती जा रही है। दिल्ली व अन्य शहरों से आने वाले व्यवसायी सीधे किसानों से फसल खरीद ले रहे हैं। ऐसे में मंडी तक थोड़ी ही फसल ही पहुंच पाती है। इस समय पंजाब से पूरी मटर सीधे व्यापारी खरीद रहे हैं, इसकी तुलना में कीनू की आवक मंडी में ठीक है।