जन्मे नवजातों (प्री-मेच्योर बेबी)के अभिभावकों की मुसीबत बढ़ गई है



 

     

 कानपुर, ऐसे नवजात की आंखों का रेटिना ठीक से विकसित नहीं होता, ऊपर से एनआइसीयू में ऑक्सीन पर रहने से समस्या और बढ़ जाती है।

इसका इलाज जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल परिसर स्थित नेत्र रोग विभाग में होता रहा है।

अब यहां की 13 साल पुरानी मशीन खराब है, मरम्मत न होने से इन बच्चों का इलाज नहीं हो पा रहा है।

उनकी समस्या को देखते हुए नई मशीन खरीदने का प्रस्ताव प्राचार्य के पास भेजा गया है।

नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. परवेज खान ने बताया कि प्रदेश में दो स्थानों में ही रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमेच्योरिटी की सुविधा है।

उसमें एक लखनऊ के ङ्क्षकग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी एवं दूसरा कानपुर के मेडिकल कॉलेज में है।