दिल्ली सीमा पर चल रहे आंदोलन की वजह से चीनी का उठान नहीं हो रहा है। इससे किसानों के बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान भी नहीं हो रहा है। बकाया चुकाने के लिए अब मिलें किसानों को चीनी बेचेंगी। किसानों के भुगतान के दबाव को कम करने और चीनी के बाजार को बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाएगा। जिले में साढ़े तीन लाख से ज्यादा किसान हैं। अगर इतने किसान दो महीने भी अपनी जरूरत के हिसाब से चीनी ले लेंगे तो चीनी मिलों को बहुत फायदा होगा।
जिले की कई चीनी मिलों ने पिछले पेराई सत्र का भुगतान अब तक नहीं किया है। चीनी मिलों पर भुगतान का बहुत दबाव है, लेकिन चीनी को बेचकर ही भुगतान किया जा सकता है। चीनी का उठान बहुत कम हो रहा है। वेव ग्रुप की बिजनौर चीनी मिल ने पिछले पेराई सत्र में भुगतान के लिए बैंक से जो ऋण लिया था मिल चीनी न बिक पाने की वजह से उसे चुका नहीं पाई थी। अब बैंक को फिर से 35 करोड़ का ऋण मिला तो बैंक ने इसमें से 30 करोड़ रुपये पिछली किस्त के काट लिए हैं।
बाकी चीनी मिलों के आगे भी चीनी का उठान न होने की वजह से भुगतान की समस्या आ रही है। दिल्ली सीमा पर चल रहे आंदोलन की वजह से भी चीनी का उठान बहुत प्रभावित हुआ है। चीनी बहुत कम बिक रही है। इससे चीनी के दाम भी 100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गए हैं। दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा को जाने वाला माल बहुत कम उठ रहा है। चीनी का उठान बढ़ाने के लिए अब शासन ने चीनी मिलों को सीधे किसानों को भी चीनी बेचने की छूट दे दी है। जो किसान चीनी मिलों को गन्ना डालते हैं वे बाजार मूल्य पर मिलों से चीनी खरीद सकते हैं।इसके पैसे किसान के बकाया भुगतान से चीनी मिल काट लेंगी। इससे किसान की जरूरत पूरी होगी और चीनी मिलों पर दबाव भी कम हो जाएगा। इससे पहले कोरोना काल में चीनी का उठान बढ़ाने के लिए यह व्यवस्था की गई थी।
जिले में दस समितियों पर तीन लाख 58 हजार 334 किसान हैं। बिजनौर में 44314, धामपुर में 58249, स्योहारा में 32544, नजीबाबाद में 36936, बुंदकी में 38172, चांदपुर में 41227, नूरपुर में 34699, बिलाई में 20586, बरकातपुर में 27783, बहादरपुर में 23824 किसान हैं। बिलाई चीनी मिल के गन्ना महाप्रबंधक परोपकार सिंह के अनुसार मिल अपने यहां गन्ना डालने वाले किसानों को चीनी बेचेंगी। चीनी के पैसे किसान के बकाया भुगतान से कम हो जाएंगे। इससे चीनी मिल और किसान दोनों को राहत मिलेगी।