तोमर ने बताया कि किसान आंदोलन के दौरान यूनियन के साथ छह दौर की बातचीत हुई. सरकार का लगातार आग्रह था कि कानून के वो कौन से प्रावधान हैं जिन पर किसान को आपत्ति है, कई दौर की बातचीत में ये संभव नहीं हो सका. उन्होंने कहा,'मैं किसान यूनियनों से आग्रह करना चाहूंगा कि वे गतिरोध को तोड़ें. सरकार ने उन्हें एक प्रस्ताव भेजा है. अगर किसी अधिनियम के प्रावधानों पर आपत्ति है, तो इस पर चर्चा हुई है आगे भी हो सकती है. हमारा प्रस्ताव उनके (किसानों) पास है. उन्होंने इस पर चर्चा की, लेकिन हमें उनसे कोई जवाब नहीं मिला है.
किसानों के आंदोलन का आज 16वां दिन हैं. इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि बातचीत का रास्ता अभी भी खुला हुआ है. हम हर समस्या पर विचार कर रहे हैं. हमें लगता है कि बात करके समाधान निकाल सकते हैं. मैं इसे लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हूं. सरकार की तरफ से किसानों को प्रस्ताव भेजा गया है. अगर किसानों को कोई दिक्कत है तो बात कर सकते हैं
किसान आंदोलन को लेकर टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसानों की हालत लगातार बिगड़ रही है. गुरुवार को कृषि कानूनों को रद करवाने की मांग लेकर यहां के टीकरी बॉर्डर पर डेरा डाले किसानों के लिए लंगर सेवा करने आए पंजाब के एक आढ़ती के मुनीम की मौत हो गई. मुनीम के शव को सिविल अस्पताल भिजवाया गया है. यहां पर अब तक आंदेालन से जुड़े छह लोग जान गंवा चुके हैं. फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है.
रियाणा के कैथल जिले के हलके कलायत में किसान आंदोलन ने रंग पकड़ लिया है. ये राज्यमंत्री कमलेश ढांडा का विधानसभा क्षेत्र है, लेकिन फिर भी भाजपा किसानों को खुश करने और कृषि कानूनों के विषय में समझाने में असमर्थ रही है. ताजा घटनाक्रम में किसानों को खुला समर्थन देते हुए खंड के कुल 29 सरपंचों में से 14 ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है. पद छोड़ने वालों में सरपंच संगठन के प्रधान कर्मवीर कोलेखा भी शामिल हैं. जनप्रतिनिधि गहन मंत्रणा के बाद उप मंडल कार्यालय पहुंचे और एसडीएम कार्यालय अधीक्षक सावित्री देवी के माध्यम से त्यागपत्र सौंपा.
सरकार की ओर से बीते दिन कृषि कानून पर एक बुकलेट जारी की गई थी. इसें
तीनों कृषि कानूनों के फायदों को गिनाया गया था. इसके अलावा कृषि मंत्री
नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर
कृषि कानून के फायदे गिनाए थे. दोनों ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की
अपील की थी. लेकिन किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए है. ऐसे में बीजेपी ने
पार्टी स्तर पर कृषि कानूनों के मसले को जनता के सामने पेश करने का प्लान
बनाया है.