कानपुर में सेक्स रैकेट का हवाला देकर रविवार रात को जिम में युवक-युवती से अभद्रता करने के मामले में दरोगा मोहम्मद खालिद दोषी पाए गए हैं। हालांकि उनके साथ मौजूद तीन सिपाहियों को बचा लिया गया।
आरोप है कि वसूली करने के उद्देश्य से गुर्गों के साथ पहुंची पुलिस ने प्रेमी जोड़े के साथ न केवल अभद्रता की बल्कि उनका वीडियो भी वायरल कर दिया था। अमर उजाला में मामला प्रमुखता से प्रकाशित होने के बाद एडीजी जय नारायण सिंह के निर्देश पर डीआईजी ने मामले की जांच सीओ सीसामऊ त्रिपुरारी पांडेय को सौंपी थी।
सीओ ने मंगलवार देर रात सौंपी रिपोर्ट में दरोगा को दोषी बताया है। एसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार का कहना है कि जांच रिपोर्ट देखने के बाद दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी।
सीओ ने युवक के परिजनों को थाने बुलाया पर दहशत के चलते उन लोगों ने तहरीर नहीं दी। उनका कहना है कि वे कोई कार्रवाई नहीं चाहते। मगर जिस तरह का काम पुलिस ने किया है, उसमें निजिता भंग करने, धमकाने समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज हो सकती है। खुद पुलिस भी वादी बन सकती है।
पुलिस का कहना है कि सेक्स रैकेट की सूचना पर दबिश दी गई लेकिन सवाल उठता है कि दबिश में कोई सीओ क्यों नहीं शामिल था। क्योंकि सेक्स रैकेट की दबिश में सीओ रैंक के अधिकारी का होना जरूरी होता है। लेकिन इस मामले में पुलिस के साथ दलाल व मुखबिर थे। वीडियो भी इन्होंने ही बनाया था। इससे वसूली की बात को और बल मिलता है।