बदलेंगे दल, नेता जी से कर लिया किनारा



कानपुर। नीले परचम वाले दल की सरकार में ओहदेदार रहे और भगवा दल से सूबे की पंचायत में जिले के ग्रामीण क्षेत्र की सुरक्षित सीट की नुमाइंदगी करने वाले माननीय आजकल पार्टी से कटे-कटे से हैं। संगठन के कार्यक्रमों में आना-जाना बंद है। 2017 में देश के नामचीन बाबा जी की सिफारिश पर भगवा दल की टिकट का जुगाड़ कर लेने वाले माननीय चुनाव के साल भर पहले से दूसरे दल में इंट्री पाने और टिकट के बंदोबस्त में लगे हैं। उनकी गुपचुप कोशिशों की भनक भगवा दल वालों को भी लग चुकी है। इसी से उनकी सीट पर कभी शहर के बीचोंबीच की सुरक्षित सीट से विधायक रहे नेता जी को सक्रिय कर दिया गया। पूर्व विधायक की सक्रियता ने माननीय की कोशिशों की शिद्दत को इस डर से बढ़ा दिया कि कहीं ऐसा न हो कि दूसरी जगह भी दाल न गले और यहां से भी हाथ धो बैठें।

देश, प्रदेश या फिर शहर के किसी भी मसले पर आंदोलन के मूड में रहने वाले कारोबारियों के एक संगठन के नेता जी को सरकार की खिलाफत भारी पड़ गई है। दरअसल, देश में किसान आंदोलन के शोर के बीच नेता जी अपने संगठन के हमसाया साथियों के साथ मंडी के मसले को लेकर धरने पर बैठ गए। हर वक्त मीडिया की खास तवज्जो के तलबगार रहने वाले नेता जी जोरदार प्रदर्शन को लेकर सुर्खियों में आकर काफी गदगद भी थे। उनकी दिली तमन्ना सूबे की पंचायत में जाने की भी है। शहर की दो सीटों से भगवा दल की टिकट की ख्वाहिश भी रखते हैं पर पिछले दिनों उनके स्वप्न को ग्रहण लगता दिखाई पड़ा। दरअसल, सरकार के कामकाज के प्रति कारोबारियों की राय जानने को उसके मार्गदर्शक संगठन ने बैठक रखी पर नेताजी को नहीं बुलाया। उसके बाद से अड्डेबाज उनकी हालत पर खूब मजे ले रहे हैं।

शहर की खैर खबर रखने वाले महकमे के एक अनुभाग के मुखिया के पद को लेकर दो अफसरों के बीच छिड़ी जंग में सरकार में ओहदेदार के चहेते ने बाजी मार ली है। ओहदेदार के दत्तक पुत्र की ख्याति रखने वाले अफसर अरसे तक उनके ही क्षेत्र के जोन में तैनात रहे हैं। ओहदेदार की सेवा में तत्पर रहने के कारण ही बुंदेलखंड के बड़े शहर से न सिर्फ उनकी वापसी हो गई, बल्कि फिर से तैनाती उनके ही क्षेत्र में उन्हें मिल गई। हाल ही में प्रोन्नति पाने के बाद से वह अनुभाग के मुखिया की दावेदारी कर रहे थे, पर सत्ताशीर्ष से जुड़ाव के दम पर जमे अफसर के आगे दाल नहीं गल पा रही थी। तमाम रस्साकसी के बाद आखिरकार अनुभाग के मुखिया अफसर का पश्चिम के शहर में तबादला हो गया और ओहदेदार के रसूख से प्रोन्नति पाने वाले अफसर ने उनका दायित्व संभाल लिया है।