कानपुर
उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हथियार लाइसेंस देने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। 20 हजार फाइलों की जांच में पता चला है कि 5 हजार लाइसेंस गलत तरीके से जारी किए गए। गड़बड़ मानी जा रही फाइलों में कहीं संस्तुति ठीक से नहीं हुई है तो कहीं साफ नहीं है कि फाइल में किस अधिकारी के हस्ताक्षर हैं। दस्तखत में अधिकारी की मुहर तक नहीं लगी है। कुछ फाइलों में एडीएम ने हथियार लाइसेंस जारी कर दिए, लेकिन लाइसेंस जारी करने के अधिकार मिलने की चिट्ठी नहीं है। भारी गड़बड़ी के मद्देनजर जिला प्रशासन ने शासन को चिट्ठी भेज दूसरी एजेंसी से जांच करवाने की सिफारिश भेजी है।
इस प्रक्रिया के तहत हर फाइल की जांच के बाद इसकी कंप्यूटर में एंट्री होनी है। इससे पता चलता कि किन लाइसेंसियों को यूआईएन जारी नहीं हुए हैं। इसके बाद पुलिस लाइंस में पुलिस-प्रशासन की संयुक्त टीम को थानावार हर लाइसेंस का भौतिक सत्यापन करना था। कानपुर में इस प्रक्रिया में शुरुआती 20 हजार फाइलों की जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिली।
एडीएम अतुल कुमार के अनुसार, करीब 5 हजार फाइलें ऐसी मिली हैं, जिसमें लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। काफी फाइलों में लाइसेंस जारी करने की संस्तुति ठीक से नहीं लिखी गई है। यह भी नहीं पता चल रहा है कि संस्तुति है या असंस्तुति। दूसरी बड़ी गड़बड़ी हस्ताक्षरों की है। यह जानना मुश्किल है कि किस अधिकारी ने साइन किए, क्योंकि अधिकारी के नाम और पदनाम वाली मुहर नहीं लगी है।
एडीएम अतुल कुमार के अनुसार, करीब 5 हजार फाइलें ऐसी मिली हैं, जिसमें लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। काफी फाइलों में लाइसेंस जारी करने की संस्तुति ठीक से नहीं लिखी गई है। यह भी नहीं पता चल रहा है कि संस्तुति है या असंस्तुति। दूसरी बड़ी गड़बड़ी हस्ताक्षरों की है। यह जानना मुश्किल है कि किस अधिकारी ने साइन किए, क्योंकि अधिकारी के नाम और पदनाम वाली मुहर नहीं लगी है।
एडीएम अतुल कुमार के अनुसार, काफी फाइलें ऐसी भी सामने आई हैं, जिसमें एडीएम ने लाइसेंस जारी कर दिया। नियमों के तहत एडीएम ऐसा नहीं कर सकते। यदि तत्कालीन जिलाधिकारी की तरफ से उन्हें ऐसे अधिकार दिए गए थे तो उसकी चिट्ठी भी साथ में नत्थी होनी चाहिए थी। हजारों फाइलों में गड़बड़ी देख शासन से अनुरोध किया गया है कि दूसरी एजेंसी से जांच कराई जाए
साल 2019 में पता चला था कि एक साल में करीब 90 ऐसे शस्त्र लाइसेंस जारी कर दिए गए थे जिनकी फाइलें ही नहीं हैं। पुलिस की सख्ती के बाद ऐसे लाइसेंसधारकों ने थानों में हथियार जमा करवाए थे। पहले भी कई मौकों पर हथियारों की दुकानों से गलत तरीके से शस्त्र बेचने के केस सामने आए थे। बिकरू कांड के बाद जांच में शस्त्र लाइसेंस की 300 से ज्यादा फाइलें गायब मिली थीं।