नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के दिल्‍ली में आंदोलन के बीच

 


नई दिल्‍ली

प्रधानमंत्री रविवार सुबह अचानक दिल्‍ली के रकाबगंज साहिब गुरुद्वारा पहुंचे। यहां उन्‍होंने सर्वोच्‍च बलिदान के लिए श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी को नमन करते हुए माथा टेका। रायसीना हिल्‍स के पीछे स्थित इस गुरुद्वारे में पिछले 25 दिन से 'सिख समागम' चल रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, पीएम की विजिट के लिए किसी तरह की पुलिस बैरिकेडिंग नहीं की गई थी। पीएम मोदी ऐसे वक्‍त में रकाबगंज गुरुद्वारा गए जब दिल्‍ली में पंजाब के हजारों किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं। उन्‍हें अब देशभर के किसान संगठनों का समर्थन मिल चुका है।

किसान संगठनों की नाराजगी के बीच प्रधानमंत्री ने हरसंभव मौके पर नए कानूनों के बारे में स्थिति साफ करने की कोशिश की है। एसोचैम का कार्यक्रम हो या मध्‍य प्रदेश के किसानों संग बातचीत, पीएम बार-बार सितंबर में लागू नए कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं। उन्‍होंने किसान संगठनों सेबातचीत की अपील भी की थी। मोदी ने 18 दिसंबर को कहा था, "मेरी बातों के बाद भी, सरकार के इन प्रयासों के बाद भी, अगर किसी को कोई आशंका है तो हम सिर झुकाकर, हाथ जोड़कर, बहुत ही विनम्रता के साथ, देश के किसान के हित में, उनकी चिंता का निराकरण करने के लिए, हर मुद्दे पर बात करने के लिए तैयार हैं।



किसानों का मुख्‍य आंदोलन दिल्‍ली-हरियाणा के बीच स्थित सिंघु बॉर्डर पर चल रहा है। यहां पंजाब के अलग-अलग अस्‍पतालों से मेडिकल स्‍टाफ पहुंच गया है। लुधियाना के एक अस्‍पताल में नर्स हर्षदीप कौर ने न्‍यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, "हम यहां आंदोलनरत किसानों का समर्थन करने आए हैं लेकिन अगर कोई बीमार पड़ता है तो हम यहीं पर हैं

दिल्‍ली और उत्‍तर प्रदेश की सीमा पर स्थित गाजीपुर में आंदोलनकारी किसान आज 'शहीदी दिवस' मना रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के दिल्‍ली-एनसीआर चीफ सेक्रेटरी मांगे राम त्‍यागी ने से कहा, "हम आज शहीदी दिवस मना रहे हैं और उन्‍हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं जिन्‍होंने इस आंदोलन के दौरान अपनी जान दी।

आंदोलनकारी किसानों की तरफ से अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति  ने शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खुला पत्र लिखा। पत्र में कहा गया है कि "बड़े खेद के साथ आपसे कहना पड़ रहा है कि किसानों की मांगों को हल करने का दावा करते-करते, जो हमला दो दिनों से आपने किसानों की मांगों व आंदोलन पर करना शुरू कर दिया है वह दिखाता है कि आपको किसानों से कोई सहानुभूति नहीं है और आप उनकी समस्याओं का हल करने का इरादा शायद बदल चुके हैं। निस्संदेह, आपके द्वारा कही गईं सभी बातें तथ्यहीन हैं।