राममंदिर की नींव की नई डिजाइन को लेकर जहां देशभर के तकनीकी विशेषज्ञ मंथन करने पर जुटे हैं। वहीं नींव का काम शुरू करने से पहले रिटेनिंग वॉल का निर्माण एक दो दिन में प्रारंभ होने वाला है। जब तक नींव की डिजाइन फाइनल हो रही है इस बीच समय का सदुपयोग करते हुए ट्रस्ट ने रिटेनिंग वॉल निर्माण शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
दूसरी तरफ राममंदिर की नींव का काम शुरू होने में अभी नक्शे में पेंच फंसा हुआ है और काम शुरू होने में देरी हो रही है। इसको देखते हुए काफी मजदूरों को छुट्टी दे दी गई है। उतने ही मजदूर रामजन्मभूमि परिसर में हैं जितने रिटेनिंग वॉल के निर्माण कार्य में लगेंगे।
ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया गया एक दो दिन के भीतर रिटेनिंग वॉल का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। मंदिर के तीन तरफ रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी ताकि भूकंप व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से मंदिर को सुरक्षित रखा जा सके।
वहीं, ट्रस्ट ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के लिए आवेदन किया गया है। इसकी मंजूरी मिलने के बाद ही विदेशी फंडिंग के रास्ते खुल सकेंगे और विदेशी रामभक्त दान दे पाएंगे।
ट्रस्ट कार्यालय में आए दिन विदेशी रामभक्तों के फोन आ रहे हैं। ट्रस्ट कार्यालय के प्रभारी प्रकाश गुप्ता बताते हैं कि एफसीआरए नहीं होने से विदेशी फंडिंग नहीं हो पा रही है। ट्रस्ट के सूत्रों के अनुसार राममंदिर के लिए एक अरब से ज्यादा का चंदा श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अकाउंट में जमा हो चुका है।
भारत में जब कोई व्यक्ति या संस्था, एनजीओ किसी विदेशी स्रोत से चंदा लेती है तो उसे फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) यानी विदेशी सहयोग विनियमन अधिनियम के नियमों का पालन करना होता है पहले एफसीआरए, 1976 को लागू किया गया था, लेकिन साल 2010 में नया फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट 2010 आ गया जिसे 1 मई 2011 से लागू किया गया है।
राममंदिर के लिए अंशदान करने को विदेशों में बसे भारतीय रामभक्त बेसब्र हैं। इस बात की पुष्टि करते हुए अंतरराष्ट्रीय कथाव्यास आचार्य लक्ष्मण दास बताते हैं कि उनके सैकड़ों की संख्या में शिष्य फिजी,अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी व कनाडा में हैं जो आए दिन फोन कर राममंदिर के लिए दान करने की इच्छा व्यक्त करते हैं, लेकिन उन्हें दान देने के लिए कोई लिंक नहीं मिल पा रहा है, जिससे वे बेचैन हैं। आचार्य लक्ष्मण दास स्वयं भी एक लाख 11 हजार का दान कर चुके हैं। वे कहते हैं कि एफसीआर होते ही विदेशी फंडिंग की होड़ सी लग जाएगी।