पीएचडी दाखिले में एससी और ओबीसी का हक मारा



समाजशास्त्र विभाग में 44 सीटों पर दाखिले के लिए चयनित अभ्यर्थियों की जारी सूची में 22 ओपन, चार ईडब्ल्यूएस, आठ एससी और 10 ओबीसी वर्ग के हैं। राज्य सरकार के आरक्षण शासनादेश के अनुसार एससी वर्ग को 21 और ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। इसके अनुसार 44 सीटों में एससी वर्ग की नौ और ओबीसी की 11 सीटें हो रही हैं।

जूलॉजी विभाग में 22 सीटों पर दाखिले में 13 सीटें ओपन, 5 ओबीसी, 3 एससी और एक ईडब्ल्यूएस कोटे को दी गई हैं। आरक्षण नियम अनुसार एससी वर्ग की चार सीटें बनती हैं। नियम यह भी है कि आरक्षित वर्ग की सीटें नहीं भरती हैं तो अलग से नोटिफिकेशन जारी करना होगा। इसके बाद ही उस पर अन्य वर्ग के अभ्यर्थी को प्रवेश दिया जा सकता है।

हिंदी विभाग में 44 में 21 सीटें ओपन, 10 ओबीसी, एक डिफेंस पर्सनल, आठ एससी और चार सीटें ईडब्ल्यूएस को दी गईं। शासनादेश अनुसार एससी वर्ग के अभ्यर्थियों की नौ और ओबीसी वर्ग की 11 सीटें बनती हैं। दोनों वर्ग को एक-एक सीट कम मिली।

लखनऊ विश्वविद्यालय की पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया में इन तीन के साथ ऐसे कई विभाग हैं, जहां एससी और ओबीसी वर्ग को राज्य सरकार की ओर से तय आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। 11 महीने से जारी प्रवेश प्रक्रिया में अब रिजल्ट जारी किया गया है तो इसमें आरक्षित वर्ग के हितों से खिलवाड़ किया गया है। विवि ने अभ्यर्थियों को फीस जमा करने के निर्देश भी दे दिए हैं।

पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया के रिजल्ट में आरक्षित वर्ग विशेषकर एससी और ओबीसी के अभ्यर्थियों को तय आरक्षण से सीटें नहीं आवंटित की गई हैं। सरकार के निर्देश पर लविवि ने इस साल से पीएचडी में ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ भी दिया है।

इसके लिए जारी शासनादेश अनुसार गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा, लेकिन इसकी वजह से पहले से आरक्षण का लाभ पाने वालों का हित प्रभावित नहीं होना चाहिए। इसके लिए सीटें बढ़ाई जा सकती हैं। लविवि ने ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ तो दिया है, लेकिन एससी और ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण का भाग कम कर दिया है

पीएचडी में प्रोफेसर के अधीन अधिकतम आठ, एसोसिएट प्रोफेसर के अधीन छह और असिस्टेंट प्रोफेसर के अधीन एक समय में अधिकतम चार पीएचडी स्कॉलर ही हो सकते हैं। लविवि ने विज्ञापन में ईडब्ल्यूएस कोटे की सीट की जानकारी नहीं दी थी।

उसका तर्क था कि पीएचडी की सीट यूजीसी के नियम के अधीन है, इसलिए इसमें सीट नहीं बढ़ाई जा सकती है। बाद में ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ देने की घोषणा कर दी। इसके लिए विज्ञापन जारी होने व रिजल्ट निकालने की अवधि के दौरान पीएचडी थीसिस जमा होने से खाली सीटों को शामिल कर लिया।

लविवि में ये दाखिले शैक्षणिक सत्र 2019-20 के हैं। जिन पीएचडी थीसिस जमा होने से सीटें खाली होने की बात कही जा रही है, वे इससे अगले सत्र यानी 2020-21 की हैं।